भिवानी ।
कृषि विज्ञान केंद्र भिवानी में पेडों का महत्त्व समझने तथा जागरुकता फैलाने के लिए परिसर में पौधारोपण कर वन महोत्सव मनाया गया । इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र भिवानी के वरिष्ठ संयोजक डॉ. आर एस ढिल्लों, प्रोफ़ेसर (वानिकी) ने ऑफिस स्टाफ और किसानों को संबोधित किया। उन्होंने मानव जाति के लिए पेड़ों का महत्व बताया और सभी को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि न केवल पेड़ लगाएं बल्कि उसे बड़ा भी करें । सभी वैज्ञानिकों एवं कार्यालय स्टाफ द्वारा परिसर में कचनार, कसूद, अमलतास, शीशम, मग पीपल, गुलमोहर जैसे पौधे लगाये गये। वृक्षारोपण अभियान के दौरान उपस्थित किसानों को पौधे भी वितरित किये गये।
डॉ. करिश्मा नंदा, जिला विस्तार विशेषज्ञ (वानिकी) ने इस कार्यक्रम का नेतृत्व किया। वह इस वन महोत्सव सप्ताह के दौरान भिवानी जिले के 25 गांवों में जागरूकता कार्यक्रम और वृक्षारोपण अभियान भी चला रही हैं। वह स्कूली छात्रों से भी बातचीत करेंगी और उन्हें पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करेंगी । इस वृक्षारोपण कार्यक्रम के दौरान डॉ मीनू, जिला विस्तार विशेषज्ञ (कीट विज्ञान), डॉ मुरारी लाल, जिला विस्तार विशेषज्ञ (बागवानी) और डॉ. ममता फोगाट, जिला विस्तार विशेषज्ञ (मृदा विज्ञान) भी मौजूद रहे ।
वन महोत्सव हर साल जुलाई में मनाया जाने वाला एक अखिल भारतीय वृक्षारोपण उत्सव है। वन महोत्सव की शुरुआत 1950 में के.एम. मुंशी द्वारा की गई थी, तत्कालीन केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री ने वन संरक्षण और पेड़ लगाने के लिए जनता के बीच उत्साह पैदा किया। अपने मूल उद्देश्य में, भारत के प्रत्येक नागरिक से वन महोत्सव सप्ताह के दौरान एक पौधा लगाने की अपेक्षा की जाती है। भारत में मानसून का आगमन आमतौर पर जुलाई के पहले सप्ताह में शुरू होता है। यही कारण है कि देश इस विशेष महीने के दौरान वन महोत्सव मनाता है। यह भी देखा गया है कि इस अवधि के दौरान बड़ी संख्या में लगाए गए पौधों की जीवित रहने की दर अन्य महीनों के दौरान लगाए गए पौधों की तुलना में अधिक होती है। हरियाली, समग्र रूप से, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। चूंकि पेड़ पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, इसलिए स्वस्थ, प्रदूषण मुक्त वातावरण के लिए वनस्पति और जड़ को संरक्षित करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। हालाँकि, शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण, हर दिन अधिक से अधिक पेड़ काटे जा रहे हैं। वनों की कटाई एक उभरती हुई चिंता है और वन महोत्सव सप्ताह का उद्देश्य इस कार्रवाई के कारण होने वाले पर्यावरण असंतुलन से निपटना है। पौधे स्थानीय नर्सरियों में नाममात्र मूल्य पर उपलब्ध हैं, सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे इस मानसून के मौसम में कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाएं।
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