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भारत को वेलफेयर स्टेट से पुलिस स्टेट बनाने की नींव रखेंगे तीन नए क्रीमिनल कानून : अधिवक्ता विकास
भिवानी :

भाजपा सरकार द्वारा एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू किए गए है। जिसके तहत भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम: भारीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहित और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेंगे। भाजपा सरकार द्वारा तीन नए क्रीमिनल कानून लाने का मुख्य उद्देश्य पुलिस के माध्यम से स्वयं का तानाशाही राज स्थापित करके आमजन के बीच भय का माहौल बनान है। यह बात युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अधिवकत विकास कुमार ने भारतीय न्याय संहिता के तीनों कानूनों को तुरंत रोकने की मांग करते हुए कही। उन्होंने कहा कि तीन नए क्रीमिनल कानून के माध्यम से सरकार द्वारा पुलिसिलया स्टेट की नींव डाली जा रही है। नए क्रीमिनल कानून भारत को वेलफेयर स्टेट से पुलिस स्टेट बनाने की नींव रखेंगे। उन्होंने कहा कि संसद में इन कानूनों पर फिर से चर्चा होनी चाहिए, उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाना चाहिए।
अधिवक्ता विकास कुमार ने कहा कि भाजपा सरकार पुलिस के सहारे स्वयं का तानाशाही राज स्थापित करना चाहती है। क्योंकि नए क्रीमिकल कानूनों में पुलिस को बहुत सी शक्तियां दी गई है। पुराने क़ानून के तहत पुलिस हिरासत का समय पहले 15 दिन होता था जब अपराधी को कोर्ट के समक्ष पेश किया जाता था । परंतु अब ये 15 दिन की पुलिस हिरासत किसी भी समय माँगी जा सकती है 60 दिन तक तो उस दिन से जब वह कोर्ट के समक्ष पेश किया जाता है चाहे अपराधी को कोर्ट द्वारा ज़मानत दे रखी हो या ना दे रखी हो । इसके अलावा पुराने कानूनों के तहत संगीन मामलो में सुप्रीम कोर्ट की आदेशानुसार पुलिस को एफआईआर तुरंत प्रभाव से दर्ज करनी पड़ती थी, लेकिन अब पुलिस को 15 दिन की प्राईमरी जांच की छूट दी गई है उसके बाद पुलिस एफआईआर दर्ज क सकती है। अधिवक्ता विकास ने कहा कि सबसे बड़ी बात अब पुलिस को देशद्रोह का मामला दर्ज करने के लिए सरकार या न्यायालय की अनुमति की जरूरत नहीं है, पुलिस अपने अनुसार फैसले ले सकती है। इससे पुलिस की मनमानी बढ़ेगी।
अधिवक्ता विकास कुमार ने कहा कि सरकार ने तानाशाही राज स्थापित करने के लिए भी तानाशाही का परिचय देते हुए 146 सांसदों की अनुपस्थिति में इन कानूनों को पारित करने का काम किया था। जिससे सरकार की मंशा साफ झलकती है। उन्होंने कहा कि इन नए कानूनों में बहुत सी धाराओं में बदलाव किया है। जिससे अधिवक्ताओं पर आर्थिक व मानसिक बोझ पड़ेगा। क्योंकि एक अधिवक्ता के पास लाखों रूपये की कीमत की किताब होना आम बात है। ऐसे में उन्हे नई किताबे खरीदने पड़ेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार का मुख्य उद्देश्य आमजन को राहत पहुंचाना नहीं, बल्कि उसके लिए परेशानी खड़ा करना है। उन्होंने कहा कि पुलिस को मिलने वाली नई पॉवर से आमजन की आजादी पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा, जो कि सीधे रूप से मौलिक अधिकारों का हनन है। ऐसे में वे मांग करते है कि संसद में इन कानूनों पर फिर से चर्चा होनी चाहिए, उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाना चाहिए।

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