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गुरुग्राम (जतिन/राजा)

भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण कर सुधार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए, सरकार ने जीएसटी 2.0 पेश करने का प्रस्ताव रखा है। इस नए मॉडल में कर स्लैब की संख्या को 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो मुख्य स्लैबों तक सीमित करने की योजना है। इस कदम का उद्योग जगत ने व्यापक रूप से स्वागत किया है।

इसी क्रम में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) गुरुग्राम जोन के चेयरमैन और कैपेरो मारूति के सीईओ विनोद बापना ने इस पहल को देश की आर्थिक प्रगति के लिए एक सकारात्मक कदम बताया है।
विनोद बापना ने कहा कि जीएसटी 2.0 का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल और सुव्यवस्थित बनाना है, जिससे आम जनता और व्यवसायी दोनों को लाभ होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि 99 प्रतिशत वस्तुओं को दो मुख्य स्लैबों में शामिल करने से कर अनुपालन में आसानी होगी और करदाताओं के बीच भ्रम कम होगा।
विनोद बापना ने इस बात पर जोर दिया कि नई कर प्रणाली न केवल कर अनुपालन को सरल बनाएगी, बल्कि व्यवसायों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने की प्रक्रिया में भी मदद करेगी।

उनका मानना है कि कर स्लैबों की संख्या कम होने से कर संरचना अधिक पारदर्शी और कुशल हो जाएगी। बापना ने कहा कि इस बदलाव से वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जीएसटी के मौजूदा ढांचे में, कुछ वस्तुओं पर 28 प्रतिशत तक कर लगता है। जीएसटी 2.0 में इन वस्तुओं को 12 प्रतिशत या 18 प्रतिशत के निचले स्लैब में लाने से उनकी कीमतें कम हो सकती हैं इसके साथ ही छोटी कारों के दामों में भी कमी आएगी और जिसका सीधा फायदा मारुती, टाटा,महेंद्रा समेत पूरे उद्योग जगत को मिलेगा।

विनोद बापना के अनुसार कर प्रणाली का सरलीकरण और कीमतों में कमी से उपभोक्ता की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे कुल मांग और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।उन्होंने कहा कि यह एमएसएमई उद्यमों के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होगा, उन्हें कम से कम प्रशासनिक बोझ का सामना करना पड़ेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि यह नया कर सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था की वैश्विक विश्वसनीयता को मजबूत करेगा। एक सरल और पारदर्शी कर प्रणाली विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में भी सहायक होगी।
विनोद बापना ने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को जीएसटी 2.0 के कार्यान्वयन के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार करना चाहिए, ताकि उद्योग जगत और आम जनता इस बदलाव के लिए तैयार हो सकें। उनका मानना है कि यह सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देगा और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।