चंडीगढ़।
लोकसभा चुनाव के बीच 3 निर्दलीय विधायकों ने CM नायब सैनी की अगुआई वाली BJP सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इनमें पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान शामिल हैं। मार्च में भाजपा-जजपा गठबंधन टूटने के बाद भाजपा ने इन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी।
तीनों विधायकों ने अचानक कांग्रेस के साथ जाकर समर्थन वापसी की घोषणा की तो अब सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? इसके पीछे 4 बड़ी वजहें सामने आ रही हैं ।
जजपा के महासचिव दिग्विजय चौटाला ने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा अगर भाजपा के हाथों में नहीं खेल रहे तो हरियाणा सरकार को गिरा दें। यह सरकार अल्पमत में है। अगर कांग्रेस या हुड्डा को जरूरत पड़ती है तो जजपा के विधायक सरकार गिराने में मदद के लिए तैयार हैं।
1. मंत्री नहीं बनाया गया
हरियाणा में भाजपा ने जजपा से गठबंधन तोड़कर नई सरकार बनाई। भाजपा के पास उस वक्त 41 विधायकों का समर्थन था। सरकार बनाने के लिए 46 विधायकों की जरूरत थी। इस वजह से 6 निर्दलियों और एक हलोपा विधायक ने साथ दिया। उस वक्त चर्चा थी कि सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों में से मंत्री बनाए जा सकते हैं। इनमें सबसे आगे सोमवीर सांगवान और नयनपाल रावत थे। हालांकि भाजपा ने सिर्फ निर्दलीय रणजीत चौटाला को शामिल कर बाकी सारे मंत्री अपनी ही पार्टी से बना दिए।
2. भाजपा उम्मीदवारों का विरोध
लोकसभा चुनाव को लेकर राज्य में भाजपा उम्मीदवारों का विरोध हो रहा है। हिसार से रणजीत चौटाला, सिरसा से अशोक तंवर, रोहतक से अरविंद शर्मा, अंबाला से बंतो कटारिया, सोनीपत से मोहन लाल बड़ौली, करनाल से मनोहर लाल खट्टर समेत कई उम्मीदवारों का विरोध हो चुका है। ऐसे में निर्दलीय विधायकों को डर सताने लगा कि अगर भाजपा के साथ रहे तो 6 महीने बाद विधानसभा चुनाव में जीतना मुश्किल हो जाएगा।